अमोनिया गैस क्या है? और यह किसका यौगिक है?
नाइट्रोजन के यौगिकों में अमोनिया (NH3) प्रमुख यौगिक है। यह नाइट्रोजन का एक स्थायी
हाइड्राइड है। इसकी प्रकृति क्षारकीय (बेसिक) है। सर्वप्रथम 1774 में प्रीस्टले ने अमोनियम क्लोराइड
और लाइम के मिश्रण को गर्म करके अमोनिया गैस प्राप्त की और इसका नाम क्षारीय वायु (alkaline
air) रखा। बर्थोले (Berthollet) ने 1785 में बताया कि अमोनिया नाइट्रोजन और हाइड्रोजन का
यौगिक है। सन 1800 में डेवी (Davy) ने इसका सूत्र NH3 स्थापित किया।
वायुमण्डल में अमोनिया गैस बहुत थोड़ी मात्रा में पायी जाती है। नाइट्रोजनयुक्त कार्बनिक पदार्थो के मन्द अपघटन से अमोनिया बनती है। इसकी एक विशेष गन्ध होती है। प्रकृति में अमोनियम क्लोराइड (नौसादर) और अमोनियम सल्फेट के रूप में अमोनिया पायी जाती है।
इसके खोजकर्ता प्रिस्टले को ही माना जाता है।
अमोनिया बनाने की विधियां-
अमोनिया गैस बनाने की प्रयोगशाला विधि--
अमोनिया बनाने की हैबर विधि-
हैबर विधि का सिद्धांत-
यह अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी (exothermic) है तथा अभिक्रिया में आयतन में कमी होती है। अतः ला-शातेलिए नियम (Le Chateliers principle) के अनुसार कम ताप (low temperature) और उच्च दाब (high pressure) पर अमोनिया अधिक मात्रा में बनेगी, परन्तु कम ताप पर यह अभिक्रिया बहुत धीमी (slow) होती है, अतः अभिक्रिया की दर बढ़ाने के लिए उचित उत्प्रेरक का उपयोग करना
आवश्यक है।
अमोनिया का संश्लेषण 200 वायुमण्डल दाब और 500°C ताप पर सूक्ष्म विभाजित आइरन (उत्प्रेरक) और मॉलिब्डेनम (वर्धक, promoter) के मिश्रण की उपस्थिति में किया जाता है। मॉलिब्डेनम के स्थान पर पोटैशियम ऑक्साइड और ऐलुमिनियम ऑक्साइड का मिश्रण भी वर्धक के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। iron (उत्प्रेरक) और वर्धक के मिश्रण में वर्धक की मात्रा बहुत कम होती है (1-2%)। वर्धक उत्प्रेरक की सक्रियता को बढ़ा देता है।
अमोनिया बनाने की हैबर विधि की विस्तृत जानकारी-
इस विधि में द्रव वायु के प्रभाजी आसवन से प्राप्त नाइट्रोजन गैस और भाप-अंगार गैस (water gas) से प्राप्त हाइड्रोजन गैस के 1:3 मिश्रण (आयतन से) को संपीडक (compressor) द्वारा 200 वायुमण्डलीय
दाब पर शोधक और शुष्कन कक्ष (purifier and drying chamber) में प्रवाहित किया जाता है। इस
कक्ष में मिश्रण में उपस्थित अशुद्धियाँ (जैसे CO, CO2, H2S, SO2, H2O आदि) दूर हो जाती हैं। इन
अशुद्धियों को दूर करना आवश्यक होता है, क्योंकि ये उत्प्रेरक की उत्प्रेरण सक्रियता को नष्ट कर देती
हैं। शोधित और शुष्क गैसीय मिश्रण को उत्प्रेरक कक्ष (catalytic chamber) में प्रवाहित करते हैं
जिसमें 500°C ताप पर सूक्ष्म विभाजित आइरन (उत्प्रेरक) और मॉलिब्डेनम (वर्धक) का मिश्रण रखा
होता है। इस कक्ष में नाइट्रोजन और हाइड्रोजन परस्पर अभिक्रिया करती हैं और अमोनिया बनती है।
अभिक्रिया में उत्पन्न ऊष्मा कक्ष के ताप का पोषण (maintain) करती है और ऊष्मा-विनिमयी (heat
interchanger) ऊष्मा की हानि (loss of heat) नहीं होने देता है। उत्प्रेरक कक्ष से निकलने वाले
गैसीय मिश्रण में 10% अमोनिया और शेष नाइट्रोजन और हाइड्रोजन होती हैं। इस गैसीय मिश्रण को
ठण्डे जल द्वारा शीतल किए हुए संघनित्र (condenser) में से प्रवाहित करते हैं जिससे अमोनिया गैस
द्रवित (liquify) हो जाती है। शेष बचे गैसीय मिश्रण को, जिसमें नाइट्रोजन और हाइड्रोजन होती है,
एक परिसंचरण पम्प (circulation pump) द्वारा पुनः उत्प्रेरक कक्ष में भेज देते हैं। यह प्रक्रम चलता
रहता है और द्रव अमोनिया बनती रहती है। यह है अमोनिया बनाने की हैबर विधि।।
Badhiya
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